एक मुलाकात खुद से!





एक मुलाकात रोज खुद से,

अच्छा लगता है,

बाते करना, खुद को सुनना 

अच्छा लगता है 

सुरीला गीत जैसे 

गुनगुना अच्छा लगता है ,

खुद से मिलाना अच्छा  लगता है ,

भीड़ से दूर एकांत में ,

जब भी मिलती हूँ ,

जी भर के हंस लेती हूँ ,जी लेती हूँ ,

यह मिलना अपने आप से अच्छा लगता है 

शिकयत भी अपनी ,

रूठना-मानना भी खुद को ,

किसी की जरुरत नहीं ,

किसी की आदत नहीं 

जो रह गया  वो  कुछ पल कुछ यादें ,

और मैं और सिर्फ मैं 

अच्छा लगता है ,

 एक पल की भी मुलाकात ,

खुद के साथ !


©कविता के दिल से 💓


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