एक मुलाकात रोज खुद से,
अच्छा लगता है,
बाते करना, खुद को सुनना
अच्छा लगता है
सुरीला गीत जैसे
गुनगुना अच्छा लगता है ,
खुद से मिलाना अच्छा लगता है ,
भीड़ से दूर एकांत में ,
जब भी मिलती हूँ ,
जी भर के हंस लेती हूँ ,जी लेती हूँ ,
यह मिलना अपने आप से अच्छा लगता है
शिकयत भी अपनी ,
रूठना-मानना भी खुद को ,
किसी की जरुरत नहीं ,
किसी की आदत नहीं
जो रह गया वो कुछ पल कुछ यादें ,
और मैं और सिर्फ मैं
अच्छा लगता है ,
एक पल की भी मुलाकात ,
खुद के साथ !
©कविता के दिल से 💓
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