यह कविता




यह कविता,

गुजरती जा रही है, गुजरते हुए एहसास के  साथ,

सिमटती जा रही है, पल-पल के यादों के साथ,

ना अब दर्द है ना ही हंसी ,

बस शंब्द है, खामोश से  ,

बेजान हो चुके है,जज्बात सारे,

यह कविता खोती  जा रही है 

अकेलेपन में सिमटती जा रही है ,

ना हक़ रहा ना ही लगाव 

बस रह गया आड़ी -टेडी लकीरें 

और बिखराव !

भावहीन-स्वरहीन, खुद में उलझती 

यह कविता.  !!!





कविता के दिल से 💓

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