शिकायत नहीं तुझसे ,
ख़ामोशी थी मन में पता था यह होना है पर दिल मानने को तैयार नही था...... बस एक ही बात चुभ रही थी "उसने बताया क्यों नही "... बोला था जो भी हो जैसा भी हो बता देना। दिल रोये जा रहा था जब से पता चला था। बस एक ही चाह थी ...किसी तरह बात हो जाये ...... बस किसी तरह !
सोचा चलो कॉल कर लूँ ... पर कॉल लग ही नही रही था । बस एक सन्नटा सा मिलता था पर एक आस थी की फ़ोन जरूर आएगा !
मन की बेचैनी 'मन' के लिए बढ़ती जा रही थी साथ मे खिज़ भी। ..... इंतज़ार मुश्किल होता जा रहा था।
ना मन लग रहा था ना दिल। आखिरी बार एक मैसेज भेजा और जवाब का इंतज़ार होने लगा।
एक -एक लम्हा मुश्किल से गुजर रहा था। सोने से पहले एक बार फ़ोन पर नज़र डाली ....... दिल खुश हो गया। इनबॉक्स में जवाब था.......' कॉल करता हूँ थोड़ी देर में '...
अब कॉल का इंतज़ार ...... फ़ोन आया ...... साथ में दिल में गुस्सा बहुत सारी बातें ..... बहुत सरे प्रश्न और
क्या -क्या!
सबसे पहले यही पुछा 'क्यों नही बताया ' जब साफ़ -साफ़ मैंने कहा था ' क्यों ' वह चुप चाप सरे इलज़ाम सुनता रहा..... एक शब्द नही बोला .....और मेरे आंसू नही थम रहे थे। बहुत दिनों से जो दर्द बाहर आना चाहता वह भी उन आँशुओँ की जुबानी बहे जा रहे थे .....मेरा सिर्फ यही पूछना ...
मन ...'क्यों नही बताया ' क्यों।
उसका जवाब अाया .... 'तुम्हे बुरा लगता'!
हाँ लगता बुरा और लगा था बुरा पर यह भी पता था यह होना है... मैंने कहा।
कहीं और से पता चला इससे और बुरा लगा ......
मैं हिम्मत नही जुटा पाया..... उसने कहा.... उसके आवाज में नमी लगी।
मुझसे और न पुछा गया ..... बातें हिच्क्यिों में बदल गयी..... नाराज़गी प्यार में बदल गयी
दोनों के दिल से सिर्फ एक आवाज निकली.... "I LOVE YOU"
और सिर्फ ख़ामोशी और ख़ामोशी रह गयी....
"बहुत अजीब होते हैं रिश्ते जिनके नाम नही होते ..... कुछ ना हो कर भी दिल को छू जाते हैं।
और दिल की धड़कन बन जाते हैं
पर यह दिल नाराज रहता है खुद से ,
फिर भी सरगोशी सी है कुछ,
शिकायत नही तुझसे .......
ख़ामोशी थी मन में पता था यह होना है पर दिल मानने को तैयार नही था...... बस एक ही बात चुभ रही थी "उसने बताया क्यों नही "... बोला था जो भी हो जैसा भी हो बता देना। दिल रोये जा रहा था जब से पता चला था। बस एक ही चाह थी ...किसी तरह बात हो जाये ...... बस किसी तरह !
सोचा चलो कॉल कर लूँ ... पर कॉल लग ही नही रही था । बस एक सन्नटा सा मिलता था पर एक आस थी की फ़ोन जरूर आएगा !
मन की बेचैनी 'मन' के लिए बढ़ती जा रही थी साथ मे खिज़ भी। ..... इंतज़ार मुश्किल होता जा रहा था।
ना मन लग रहा था ना दिल। आखिरी बार एक मैसेज भेजा और जवाब का इंतज़ार होने लगा।
एक -एक लम्हा मुश्किल से गुजर रहा था। सोने से पहले एक बार फ़ोन पर नज़र डाली ....... दिल खुश हो गया। इनबॉक्स में जवाब था.......' कॉल करता हूँ थोड़ी देर में '...
अब कॉल का इंतज़ार ...... फ़ोन आया ...... साथ में दिल में गुस्सा बहुत सारी बातें ..... बहुत सरे प्रश्न और
क्या -क्या!
सबसे पहले यही पुछा 'क्यों नही बताया ' जब साफ़ -साफ़ मैंने कहा था ' क्यों ' वह चुप चाप सरे इलज़ाम सुनता रहा..... एक शब्द नही बोला .....और मेरे आंसू नही थम रहे थे। बहुत दिनों से जो दर्द बाहर आना चाहता वह भी उन आँशुओँ की जुबानी बहे जा रहे थे .....मेरा सिर्फ यही पूछना ...
मन ...'क्यों नही बताया ' क्यों।
उसका जवाब अाया .... 'तुम्हे बुरा लगता'!
हाँ लगता बुरा और लगा था बुरा पर यह भी पता था यह होना है... मैंने कहा।
कहीं और से पता चला इससे और बुरा लगा ......
मैं हिम्मत नही जुटा पाया..... उसने कहा.... उसके आवाज में नमी लगी।
मुझसे और न पुछा गया ..... बातें हिच्क्यिों में बदल गयी..... नाराज़गी प्यार में बदल गयी
दोनों के दिल से सिर्फ एक आवाज निकली.... "I LOVE YOU"
और सिर्फ ख़ामोशी और ख़ामोशी रह गयी....
दिल ने कहा '"शिकायत नहीं तुझसे..
'बस यह थी एक अधूरी कहानी "'!!"बहुत अजीब होते हैं रिश्ते जिनके नाम नही होते ..... कुछ ना हो कर भी दिल को छू जाते हैं।
और दिल की धड़कन बन जाते हैं
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