मैंने एक झलक ज़िन्दगी का देखा,
वह राह में खड़ी गुनगुना रही थी।
मैंने ढूंढा उसे इधर-उधर,
वह आँख-मिचौली कर मुस्करा रही।
एक अरसे के बाद आया मुझेे करार ,
वह सहला कर मुझे सुला रही थी।
हम दोनों क्यों खफा थे एक दूसरे से,
मैं उसे और वह मुझे बता रही थी।
मैंने पुछा तूने मुझे यह दर्द क्यूँ दिया,
उसने कहा "ज़िन्दगी" हूँ मैं......
मैं तो बस तुझे ..
"जीना सीखा रही थी "
वह राह में खड़ी गुनगुना रही थी।
मैंने ढूंढा उसे इधर-उधर,
वह आँख-मिचौली कर मुस्करा रही।
एक अरसे के बाद आया मुझेे करार ,
वह सहला कर मुझे सुला रही थी।
हम दोनों क्यों खफा थे एक दूसरे से,
मैं उसे और वह मुझे बता रही थी।
मैंने पुछा तूने मुझे यह दर्द क्यूँ दिया,
उसने कहा "ज़िन्दगी" हूँ मैं......
मैं तो बस तुझे ..
"जीना सीखा रही थी "
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