.मन-से-मन-का-क्या-है-रिश्ता,

 मन चुप है, दिल से बेख़बर किसी के इंतेज़ार में,अपने में खोया हुआ
मन से मन का क्या है रिश्ता,
मन ही ना जाने,
ढूँढ रहा है क्या?
वह खुद ही ना जाने,
बीच राह पर खड़े,
क्या ताक़ रहा?
वह खुद ही ना जाने,
बेगाने चेहरों में
क्या ढूनडता ?
वह खुद ही ना जाने,
खुद की शब्दो में उलझा हुआ,
क्या सपने बुन रहा?
वह खुद ही ना जाने,
दिल में किसको तलाशता,
या खुद में खो जाता?
वह खुद ही ना जाने,
मन से मन का क्या रिश्ता
वह खुद ही ना जाने..!!


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